ट्रेनों के अप और डाउन नम्बर का निर्धारण कैसे किया जाता है - Hindime

ट्रेनों के अप और डाउन नम्बर का निर्धारण कैसे किया जाता है

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नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में मै आप को भारतीय रेल से जुड़ा एक रोचक लेकिन बहुत काम की जानकारी बताऊंगा.आज मै आप को "ट्रेनों के अप और डाउन नम्बर का निर्धारण कैसे किया जाता है?" के बारे में पूरी जानकारी hindime देने की कोशिश करूँगा.

अगर आप भारतीय रेल से यात्रा करते हैं तो आप ने देखा होगा की ट्रेनों को अप और डाउन नंबर के द्वारा परिभाषित किया जाता है.उदाहरण के लिए एक ट्रेन जो दिल्ली में मुंबई जाती है और वापस मुंबई से दिल्ली आती है तो उसको एक तरफ से अप ट्रेन कहा जाता है जबकि दूसरी तरफ से डाउन ट्रेन कहा जाता है.यहाँ सवाल ये उठता है की किस ट्रेन को अप कहा जायेगा और किस ट्रेन को डाउन.अगर दिल्ली से मुंबई जाने वाली को अप कहा जाता है और मुंबई से वापस दिल्ली आने वाली ट्रेन को डाउन ट्रेन कहा जाता है तो ऐसा क्यों है?

भारतीय रेलवे जोन

भारतीय रेलवे को 18 ज़ोन में बाँटा गया है और पुरे भारत में जितनी भी ट्रेन चलती हैं उनका मालिकाना हक़ और रख रखाव की जिमेदारी अलग अलग जोन में बाँटा जाता है.जिस ज़ोन को जो ट्रेन परिचालन के लिए दी जाएगी उस ज़ोन की जिमेदारी बनती है की वो उस ट्रेन को सही और बेहतर तरीके से चलाये या चलाने लायक बनाये रखे इसके अलावा उस ट्रेन की पूरी मेंटेनेंस की जिमेदारी भी उस ज़ोन की ही होती है.
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अप एंड डाउन ट्रेन

अप और डाउन का नियम समझना ज़यादा मुश्किल काम नहीं है.ऐसी ट्रेने जो अपने जोनल मुख्यालय से दूर (away from the Zonal Head Quarter) जाती है वह डाउन ट्रेन कहलाती है और जो ट्रेन अपने जोनल मुख्यालय के नजदीक जाती है वह अप ट्रेन कहलाती है.चलिए इसको एक उदाहरण के साथ समझने की कोशिश करते हैं.

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की एक ट्रेन जिसका नाम है chhattisgarh express और जिसका नंबर है 18237 ये ट्रेन अमृतसर से अपने जोनल मुख्यालय दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर की ओर जा रही है तो यह अप ट्रेन कहलायेगी और जब यह ट्रेन बिलासपुर से अमृतसर की ओर जायेगी तो यह डाउन ट्रेन कहलायेगी और उसका नम्बर होगा 18238.इसी तरह हर एक रेलवे ज़ोन की प्रत्येक ट्रेन की अप और डाउन दिशा निर्धारित की जाती है.




ट्रेन किस ज़ोन की है कैसे पता करें

हम ने ये तो जान लिया की किस ट्रेन को अप ट्रेन कहते हैं और किस ट्रेन को डाउन ट्रेन कहते हैं.लेकिन एक महत्वपूर्ण सवाल ये है की हमे कैसे पता चलेगा की कौन सी ट्रेन किस ज़ोन की है.यहाँ मै आप को बताना चाहूँगा की ट्रेन नंबर से ये जाना जा सकता है की कौन सी ट्रेन किस ज़ोन की है.तो चलिए इसकी जानकारी को विस्तार पूर्वक देखते और समझते हैं.

1986 के पहले तक भारतीय रेलवे में एक जैसे नम्बर की एक से अधिक ट्रेन हुवा करती थी लेकिन इनका रूट अलग अलग होता था इसलिए किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती थी लेकिन 1986 में ट्रेनों का कम्प्यूटराइज्ड रिजर्वेशन जब शुरू हुवा तो ये समस्या देखने को मिला की अब पुरे भारत में एक नम्बर की एक ही गाड़ी होनी चाहिए,पहले की तरह अगर एक नंबर की दो गाड़ी रहेगी तो कम्प्यूटर रिज़र्वेसन के समय ट्रेन को आइडैन्टिफाई नहीं कर पायेगा.इस समस्या से निपटने के लिए रेल गाड़ियों के नम्बर चार डिजिट में रखे गये.1986 में पुरे भारत में सिर्फ 9 ज़ोन थे इसलिए 1 से लेकर 9 तक एक एक अंक एक एक जोन को बाँट दिए गए.आप निचे हर जोन को मिले नंबर को देख सकते हैं.एक बात और बता दूँ की 2 नम्बर किसी जोन को नहीं दिया गया.कारण आओ को निचे के पैरा में बताऊंगा.

मध्य रेलवे (CR) - 1

पूर्व रेलवे (ER) - 3

उत्तर रेलवे (NR) - 4

उतर-पूर्व(NER) और उत्तर पूर्व - सीमांत (NEF) रेलवे - 5

दक्षिण रेलवे (SR)- 6

दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) - 7

दक्षिण - पूर्व रेलवे (SER) - 8

पश्चिम रेलवे (WR) - 9

जैसा की मैंने आप को ऊपर बताया है की 2 अंक को किसी ज़ोन को नहीं दिया गया और आप ऊपर दिए लिस्ट में भी देख सकते हैं की अंक 2 किसी को भी नहीं दिया गया है अब सवाल उठता है की आखिर अंक 2 किसी ज़ोन को क्यों नहीं दिया गया?दोस्तों इसका कारण था की उस समय सुपर फ़ास्ट ट्रेन गाड़ियों का नंबर 2 से शुरू होता था इसलिए किसी भी जोन को 2 अंक नहीं दिया गया.

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है की आप समझ गए होंगे की ट्रेनों के अप और डाउन नम्बर का निर्धारण कैसे किया जाता है.नई नई तकनिकी जानकारी,कंप्यूटर की जानकारी और मोबाइल की जानकारी के लिए HINDIME BLOG को बुकमार्क और सब्सक्राइब करना मत भूलियेगा.


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2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही कमाल का पोस्ट लिखा है आपने मेरे लिए आपका पोस्ट बहुत ही मददगार साबित होगा

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