Amrita Pritam-अमृता प्रीतम दुनिया की एक प्रसिद्ध कवयित्री, उपन्यासकार और निबंधकार थीं, आज के दिन उनकी 100वीं जयंती है यानी 31 अगस्त, 1919 को आज के ही दिन उनका जन्म पंजाब के गुजरांवाला में हुवा था जो की अब पकिस्तान में है.Amrita Pritam की 100वीं जयंती पर गूगल ने एक बहुत ही प्यारा सा डूडल उन्हें समर्पित किया है. गूगल ने डूडल को बेहद खास अंदाज में बनाया है. जिसमें एक लड़की सूट सलवार पहनकर और सिर पर दुपट्टा लिए कुछ लिख रही है.
और एक दीन ख़रीद लिया
हमने कुफ़्र की बात की
सपनों का एक थान बुना था
एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया
और उम्र की चोली सी ली
आज हमने आसमान के घड़े से
बादल का एक ढकना उतारा
और एक घूँट चाँदनी पी ली
यह जो एक घड़ी हमने
मौत से उधार ली है
गीतों से इसका दाम चुका देंगे.
सितारों की मुठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं
दिल के घाट पर मेला जुड़ा ,
ज्यूँ रातें रेशम की परियां
पाँत बाँध कर आई......
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के ऊपर उभर आईं
केसर की लकीरें
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनों की तकदीरें.
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Amrita Pritam-अमृता प्रीतम का जीवन
अमृता प्रीतम का बचपन बहुत मुश्किलों भरा था.Amrita Pritam जब 11 साल की थी तो उनके माँ का देहांत हो गया था.माँ के देहांत होने से बहुत कम उम्र में ही अमृता प्रीतम के कंधे पर जिमेदारी आ गई थी इसके बौजुद Amrita Pritam ने पंजाबी में कविता, कहानी और निबंध लिखना लिखना शुरू कर दिया था.अमृता प्रीतम की शादी 16 साल के उम्र में एक संपादक के साथ हो गई थी लेकिन 1960 में इनका तलाक हो गया.31 अक्टूबर 2005 का वो दिन था जब अमृता की कलम हमेशा के लिए शांत हो गई. लंबी बीमारी के चलते 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. वह साउथ दिल्ली के हौज खास इलाके में रहती थीं.अमृता प्रीतम का पहला संकलन-Amrita Pritam Ki Rachna
अमृता प्रीतम एक ऐसी साहित्यकार हैं जिनका पहला संकलन 16 साल की आयु में प्रकाशित हुआ था.अमृता प्रीतम का जन्म पाकिस्तान के पंजाब में हुवा था लेकिन विभाजन के समय इनका परिवार दिल्ली में आकर बस गया.१९४७ के भारत पाकिस्तान विभाजन को अमृता प्रीतम ने देखा और महसूस किया था जिसका दर्द इनकी कई कहानियों में देखने को मिलता है.अमृता प्रीतम ने अपने पुरे जीवन में लगभग 100 पुस्तकें लिखी हैं.Amrita Pritam ने अपनी जीवनी(rasidi ticket) भी लिखी है जिसका नाम है 'रसीदी टिकट(rasidi ticket)' ये उनकी चर्चित आत्मकथा है.Amrita Pritam-अमृता प्रीतम के सम्मान और पुरस्कार
Amrita Pritam को बहुत सारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1958 में पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा पुरस्कार, 1988 में बल्गारिया वैरोव पुरस्कार (अंतरराष्ट्रीय) और 1982 में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार शामिल है.Amrita Pritam पहली महिला थी जिन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1956)
- पद्मश्री (1969)
- डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (दिल्ली युनिवर्सिटी- 1973)
- डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (जबलपुर युनिवर्सिटी- 1973)
- बल्गारिया वैरोव पुरस्कार (बुल्गारिया – 1988)
- भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982)
Amrita Pritam Hindi Poems
कुफ्र - अमृता प्रीतम
आज हमने एक दुनिया बेचीऔर एक दीन ख़रीद लिया
हमने कुफ़्र की बात की
सपनों का एक थान बुना था
एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया
और उम्र की चोली सी ली
आज हमने आसमान के घड़े से
बादल का एक ढकना उतारा
और एक घूँट चाँदनी पी ली
यह जो एक घड़ी हमने
मौत से उधार ली है
गीतों से इसका दाम चुका देंगे.
Amrita Pritam Hindi Poems
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी /अमृता प्रीतम
मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुएसितारों की मुठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं
दिल के घाट पर मेला जुड़ा ,
ज्यूँ रातें रेशम की परियां
पाँत बाँध कर आई......
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के ऊपर उभर आईं
केसर की लकीरें
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गई,
हमारी दोनों की तकदीरें.
अमृता प्रीतम के काव्य संकलन
- अमृत लहरन (1936)
- जिउंदा जीवन (1939)
- ट्रेल धोते फूल (1942)
- ओ गीतां वालिया (1942)
- बदलाम दी लाली (1943)
- साँझ दी लाली (1943)
- लोक पीरा (1944)
- पत्थर गीते (1946)
- पंजाब दी आवाज़ (1952)
- सुनेहदे (सन्देश) (1955)
- अशोका चेती (1957)
- कस्तूरी (1957)
- नागमणि (1964)
- इक सी अनीता (1964)
- चक नंबर चट्टी (1964)
- उनिंजा दिन (49 दिन) (1979)
- कागज़ ते कनवास (1981) – भारतीय ज्नानपिथ
- चुनी हुयी कवितायेँ
- एक बात
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