इंदिरा गांधी की मौत की कहानी - बेअंत ने चिल्लाकर कहा गोली चलाओ - Hindime

इंदिरा गांधी की मौत की कहानी - बेअंत ने चिल्लाकर कहा गोली चलाओ

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इंदिरा गांधी हत्या की पूरी जानकारी

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में प्रसिद्ध नेहरु परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम 'इंदिरा प्रियदर्शिनी' था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरु और दादा मोतीलाल नेहरु थे। वैसे ये बाते तो लगभग सब को पता है. लेकिन आज भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें इंदिरा गांधी की हत्या की पूरी कहानी नहीं मालूम है .

आज मै आप को इंदिरा गांधी की हत्या की घटना की पूरी जानकारी दूंगा.आज के इस पोस्ट में मै आप को बताऊंगा की आखिर उस दिन क्या क्या हुवा था? सबसे पहले किसने गोली चलाई? इंदिरा गांधी को कितनी गोलियां लगी थी?अगर आप के मन में भी इन सवालों के जवाब पढने और जानने की इक्षा है तो आज का ये आर्टिकल पूरा ज़रूर पढना.

इंदिरा गांधी की दिनचर्या की बात की जाये तो इंदिरा गांधी सुबह 4 बजे बिस्तर छोड़ दिया करती थी. योग और दुसरे वेयायम वो नियमित रूप से करती थी.लेकिन 31अक्टूबर को वो थोडा देर से सो कर उठी और शायद इसका कारन उन दिनों चुनाव का सर पर होना था.

इंदिरा गांधी समय की बहुत पावंद थी और उनका सोने उठने का दिनचर्या फिक्स था लेकिन चुनाव के कारण रोज़ 8 से १० रैली करनी पद रही थी और इसके वजह से इंदिरा गांधी का डेली रूटीन थोडा गड़बड़ हो गया था, और यही वजह थी की 31 अक्टूबर 1984 को सुबह वो देर से उठीं.

इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी की अंतिम सुबह की कहानी

31 अक्टूबर 1984 की सुबह इंदिरा गांधी ने नाश्ते में दो ब्रेड, संतरे का जूस और अंडा खाया, इसके बाद उन्होंने केसरिया रंग की साड़ी पहनी थी जिसका बॉर्डर काला था और इस रंग का चुनाव उन्होंने कैमरा के सामने जाने के कारण किया था, क्योकि इस दिन उनका पहला अपॉएंटमेंट पीटर उस्तीनोव के साथ था जो इंदिरा गांधी पर एक डॉक्युमेंट्री बना रहे थे और कई दिनों से रैली में और दुसरे जगहों पर उनके फोटो भी खीच रहे थे.

नौ बजकर 10 मिनट पर इंदिरा गांधी अपने घर एक सफ़दर गंज रोड से एक अकबर रोड के लिए निकलीं जो की उनका ऑफिस था,इस ऑफिस और घर के बिच में सिर्फ एक गेट था जिसको पार कर के इंद्रा गाँधी अपने ऑफिस में चली जाती.इस गेट की सुरक्षा में हमेशा दो सिपाही मौजूद रहते थे.

अच्छा यहाँ मै एक बात और बता दूँ की की इस एक सफ़दर गंज रोड वाले बंगले में ही इंद्रा गाँधी का पूरा परिवार रहता था,राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी, प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी.ये पाच लोगो का परिवार इस बंगले में रहता था और जिस दिन इंद्रा गाँधी की हत्या हुई उस दिन सुबह सुबह प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी स्कूल जा चुके थे.

इंदिरा गांधी के साथ कौन-कौन लोग थे

आम तौर पर इंदिरा गांधी के साथ या आस पास या बंगले के अन्दर 4 से 5 लोग हुवा करते थे.जिस दिन इंदिरा गांधी की हत्या हुई उस दिन इंदिरा गांधी के साथ चार लोग थे, इंदिरा गांधी जब घर से ऑफिस के लिए निकली तो उनके साथ सिपाही नारायण सिंह छठा ले कर उनके साथ चल रहे थे.

मौसम उस दिन बहुत खुला खुला था और सुबह का वक़्त था, इंदिरा गांधी के ठीक पीछे कुछ कदमो की दुरी पर आर के धवन चल रहे थे.आर के धवन के पीछे इंदिरा गांधी के निजी सेवक नाथू राम चल रहे थे और सबसे अंत में इंदिरा गांधी के निजी सुरक्षा अधिकारी सब इंस्पेक्टर रामेश्वर दयाल थे.

इन चार लोगो का काफिला बंगले से निकल कर ऑफिस की तरफ जाने लगा और इस दौरान इंदिरा गांधी आर के धवन से बात भी कर रही थी, धवन उन्हें बता रहे थे कि उन्होंने उनके निर्देशानुसार, यमन के दौरे पर गए राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को संदेश भिजवा दिया है कि वो सात बजे तक दिल्ली लैंड कर जाएं ताकि उनको पालम हवाई अड्डे पर रिसीव करने के बाद इंदिरा, ब्रिटेन की राजकुमारी एन को दिए जाने वाले भोज में शामिल हो सकें.

इंदिरा गांधी के सुरक्षा कर्मी ने क्या चल चली थी

अच्छा ये जो इंदिरा गांधी के घर और दफ्तर के बिच में जो गेट बना हुवा था उसका नाम था विकेट गेट और उस दिन इस गेट पर दो सुरक्षा कर्मी तैनात थे जिसमे से एक का नाम था बेअंत और दुसरे का नाम था सतवंत.यहां मै एक बात बता दूँ की बेअंत सिंह इंदिरा गांधी के साथ १० वर्षो से था जब की सतवंत को आये हुवे सिर्फ 5 या 6 महीने ही हुवे थे.

सतवंत अभी नया सिपाही था तो उसकी ड्यूटी बंगले के बाहरी हिस्से में लगती थी जब की बेअंत इंदिरा गांधी का प्रिये था और इसकी ड्यूटी इंद्रा गाँधी के घर या दफ्तर में लगती थी.जिस दिन इंद्रा गाँधी की हत्या हुई उस दिन सतवंत सिंह ने अपने अधिकारी को कहा की आज उसका पेट ख़राब है उसको लूज मोशन हो रहा है इसलिए उसकी ड्यूटी अन्दर लगा दी जाये ताकि बार बार टॉयलेट जाने में परेशानी न हो. इस तरह नया सपही होने के बौजुद उसकी ड्यूटी अन्दर लग गई.

बेअंत ने चिल्लाकर कहा गोली चलाओ

इंदिरा गांधी जैसे ही अपने घर और दफ्तर को जोड़ने वाले गेट पर पहुची वहां मौजूद बेअंत ने रोजाना की तरह दूर से इंद्रा गाँधी को नमस्ते कहा, जवाब में इंद्रा गाँधी ने भी रोज की तरह हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा और ठीक इसके बाद बेअंत सिंह ने अपनी रिवाल्वर निकाली और इंद्रा गाँधी पर बिलकुल नजदीक से लगातार 3 गोली दाग दी.

बेअंत सिंह की तीनो गोलियां इंदिरा गांधी की पेट और छाती में धस गई, इंदिरा गांधी मखमली घास पर गिर पड़ी, उनके जख्मो से खून बहने लगा.ये पूरी घटना कुछ सेकेण्ड में घटित हो गई.अच्छा बेअंत ने जब इंदिरा गांधी को गोली मारा तो इस घटना को देख कर सतवंत shocked हो गया था, हालंकि साजिस में वो भी हिसेदार था लेकिन वो थोड़ी देर के लिए घबरा गया था.

उसकी घबराहट को देख कर बेअंत ने उसे चिल्लाकर कहा गोली चलाओ और फिर उसके बाद सतवंत ने अपनी स्टेंन गन की नाल ज़मीं पर पड़ी इंदिरा गांधी के तरफ घुमाया और ब्रसट फायर झोंक दिया,स्टेंन गन में मौजूद 27 गोलियाँ इंदिरा गांधी के शारीर में पैवस्त हो गई और फिर वहां की धरती इंदिरा गांधी के खून से लाल हो गई.

सोनिया गाँधी कहाँ थी

जब इंदिरा गांधी पर गोली चली तो सोनिया गाँधी बाथरूम में थीं.बाहर से आने वाले शोर गुल को सुन कर सोनिया जब बाहर आई तो उन्होंने वो दिन दुखाने वाला घटना नज़र आया.यहाँ एक बात और गौर करने वाली थी की इंदिरा गांधी के बंगले में हमेशा एक एम्बुलेंस खड़ी रहती थी लेकिन उस दिन नहीं थी.

इंदिरा गांधी को एम्बेसडर कार के पिछली सिट पर लेटाया गया, पिछली सिट पर सोनिया गाँधी इंदिरा गांधी के सर को अपने गोद में ले कर बैठी थी.आगे की ओर आरके धवन बैठे थे और ये एम्बेसडर कार पुरे रफ़्तार से एम्स की ओर दौड़ पड़ी.

9 बज कर 32 मिनट पर 

डॉक्टर गुलेरिया, डॉक्टर एमएम कपूर और डॉक्टर एस बालाराम पहुंच गए. एलेक्ट्रोकार्डियाग्राम में इंदिरा के दिल की मामूली गतिविधि दिखाई दे रही थीं लेकिन नाड़ी में कोई धड़कन नहीं मिल रही थी. उनकी आंखों की पुतलियां फैली हुई थीं, जो संकेत था कि उनके दिमाग को क्षति पहुंची है.

एक डॉक्टर ने उनके मुंह के जरिए उनकी साँस की नली में एक ट्यूब घुसाई ताकि फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंच सके और दिमाग को जिंदा रखा जा सके. इंदिरा को 80 बोतल खून चढ़ाया गया जो उनके शरीर की सामान्य खून मात्रा का पांच गुना था.

डॉक्टर गुलेरिया बताते हैं, 'मुझे तो देखते ही लग गया था कि वो इस दुनिया से जा चुकी हैं.उसके बाद हमने इसकी पुष्टि के लिए ईसीजी किया और उसके बाद ये साबित हो गया की इंदिरा गांधी की मौत हो चुकी है.इसके बाद इंदिरा गांधी के मौत की खबर को तुरंत आम नहीं किया गया.

मौत की पुष्टि होने के बाद भी इंदिरा गांधी को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया और फिर कुछ घंटो के बाद इस बात का एलान किया गया की इंदिरा गांधी की मौत हो गई है.

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