2 Line Ahmad Faraz Shayari - अहमद फ़राज़ के प्रसिद्ध शेर - Hindime

2 Line Ahmad Faraz Shayari - अहमद फ़राज़ के प्रसिद्ध शेर

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नमस्कार दोस्तों Hindime Blog का आज का ये पोस्ट शेरो-शायरी पसंद करने वालों के लिए हैं.आज मै आप के लिए लाया हूँ 2 Line Ahmad Faraz Shayari.अगर आप को शायरों में फ़राज़ शायर और उनकी 2 Line Love Shayari पसंद है तो आज का ये आर्टिकल आप के लिए है.

Ahmad Faraz Shayari

2 Line Ahmad Faraz Shayari

Ranjish hi sahi dil dukhane ke liye aa

Aa phir se mujhe chhod ke jaane ke liye aa


रंजिश ही सही दिल दुखाने के लिए आ

आ फिर मुझे छोड़ के जाने के लिए आ


Ab ke ham bichhde to shayad kabhi khabo men milen

Jis tarah sukhe hue phuul kitabon men milen


अब के हम बिछडे तो शायद ख़ावाबो में मिलें

जिस तरह सूखे हुवे फूल किताबों में मिलें


Dil ko tiri chahat pe bharosa bhi bahut hai

Aur tujh se bichhad jaane ka Dar bhi nahi jaata 



दिल को तिरी चाहत पर भरोसा भी बहुत है

और तुझ से बिछड जाने का डर भी नहीं जाता


Ahmad Faraz Shayari in Hindi


Kis kis ko bataenge judai ka sabab hum 

Tu mujh se khafa hai to zamane ke liye aa



किस किस को बतायेंगें जुदाई का सबब हम

तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिए आ


माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़

वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना


अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़

वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.


उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़

वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती.


वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को फ़राज़

काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता.


तुम्हारी एक निगाह से कतल होते हैं लोग फ़राज़

एक नज़र हम को भी देख लो के तुम बिन ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती


एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़

मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है


दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़

लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए.


हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़

तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था


दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़

बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो.


माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़

वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना


फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़

बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की.


ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ फ़राज़

लेकिन नमी आखों की कहती है “मुझे तुम याद आते हो”


Two Line Shayari by Ahmad Faraz


एक पल जो तुझे भूलने का सोचता हूँ फ़राज़

मेरी साँसें मेरी तकदीर से उलझ जाती हैं.


अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़

वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है


मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़

किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया.


हम से बिछड़ के उस का तकब्बुर बिखर गया फ़राज़

हर एक से मिल रहा है बड़ी आजज़ी के साथ


उसकी बातें मुझे खुशबू की तरह लगती हैं

फूल जैसे कोई सेहरा में खिला करता है


बर्बाद करने के और भी रास्ते थे फ़राज़

न जाने उन्हें मुहब्बत का ही ख्याल क्यूं आया


रूठ जाने की अदा हम को भी आती है फ़राज़

काश होता कोई हम को भी मनाने वाला.


तू भी तो आईने की तरह बेवफ़ा निकला फ़राज़

जो सामने आया उसी का हो गया


वफ़ा की लाज में उसको मना लेते तो अच्छा था फ़राज़

अना की जंग में अक्सर जुदाई जीत जाती है.


मैंने आज़ाद किया अपनी वफ़ाओं से तुझे

बेवफ़ाई की सज़ा मुझको सुना दी जाए


मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊँ फ़राज़

कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता.


मैंने माँगी थी उजाले की फ़क़त इक किरन फ़राज़

तुम से ये किसने कहा आग लगा दी जाए


कांच की तरह होते हैं गरीबों के दिल फ़राज़

कभी टूट जाते हैं तो कभी तोड़ दिए जाते हैं.


इतनी सी बात पे दिल की धड़कन रुक गई फ़राज़

एक पल जो तसव्वुर किया तेरे बिना जीने का


मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ फ़राज़

मेरी नज़रों में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो


उसने मुझे छोड़ दिया तो क्या हुआ फ़राज़

मैंने भी तो छोड़ा था सारा ज़माना उसके लिए


Ahmad Faraz Love Shayari in Hindi


Ye mumkin nahin ki sab log hi badal jate hai

Kuchh haalaat ke saanchon mein bhi dhal jate hai


Kitna aasaan tha tere hizra mein marna jaana

Phir bhi ik umar lagi jaan se jaate jaate


Jhele hain jo dukh tune ‘Faraz’ apni jagah hain

Par tum pe jo gujari hai wo auron se kam hai


Ungaliyaan aaj tak isi soch mein gum hai ‘Faraz’

Usne kaise naye haath ko thaama hoga


Tum taqalluf ko bhi ikhlaas samjhte ho ‘Faraz

Dost hota nahin har haath milaane waala


Wo zindagi ho ki duniya Faraz kya kije

Ki jisse ishq karo bewafa nikalti hai


Zindagi npar is se badhkar tanz kya hoga Faraz

Uska ye kehana ki tu shaayar hai, deewana nahin


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